बढती यौन-अपराध वृति इस जिहाद की सफलता
एक निचोड़ की बात उभरती हैः वर्ष 1947 में हासिल आजादी के बाद की पांच दशकों की काल अवधि में तीब्रता से खड़े हुए मिथकों की बदौलत राजनीतिक दल/नेताओं, अखबारों/मीडिया, पढे-लिखों व ग्रामीण क्षेत्र...
एक निचोड़ की बात उभरती हैः वर्ष 1947 में हासिल आजादी के बाद की पांच दशकों की काल अवधि में तीब्रता से खड़े हुए मिथकों की बदौलत राजनीतिक दल/नेताओं, अखबारों/मीडिया, पढे-लिखों व ग्रामीण क्षेत्र...
संस्था व खाप प्रकृति से भिन्न कुछ स्वयंभूओं को छोड़ कर आज तक खाप प्रणाली पर ऐसा कोई भी लांछन नहीं लगा कि इतनी सुदृढ़, स्वच्छ व् सामाजिक व्यवस्था प्रशनचिन्ह के दायरे में...
GST और किसान दोनों से संबंधित नॉलेज की चैरिटी का वक्त आन पहुंचा है: GST से व्यापारी को ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि जो बढ़ा है वो उसको ग्राहक के ही पल्ले डालेगा|...
कहाँ से और कैसे पाड़ लगी हुई है किसान के घर की शांति और नेक कमाई में! मेरे चचेरे पड़दादा होते थे| वो महीने-दो महीने में हमारे ठोले (बड़ा परवार, यानि एक ही वंशबेल...
मिथकों की दुनिया खाप शब्द से ही चिड़ने वालो का तर्क सीधा है. उनका कहना है कि खाप प्रणाली बीते ज़माने कि सामंती प्रथा है जिससे गॉव के गंवार लोग बेमतलब चिपटे बैठे हैं...
भारत में जमींदारी और उसके मुख्य प्रकार: 1) सामंती (Feudal) जमींदारी: परिभाषा: दिहाड़ी मजदूर काम करते हैं, खेत का मालिक सिर्फ ऑर्डर्स पास करता है| नौकर-मालिक का रिश्ता होता है| बंधुआ करार से ले...
यह गहनता से समझने की बात है कि भारत में दो तरह की जमींदारियां होती आई हैं! एक सामंती जमींदारी और दूसरी मेहनती जमींदारी| सामंती जमींदारी यानी जो खुद खेत में काम नहीं...
चर्चा का सन्दर्भ खाप को लेकर है। प्रश्न यह है कि खाप को संस्था/सभा मानकर चर्चा हो अथवा उसे ग्रामीण भारत के लोगों की जीवनशैली समझा जाए; उसे उनका एक रिवाज, जीवन पद्धति माना...
बीसवीं सदी में खापतंत्र का फॉल-डाउन कहाँ से और कैसे शुरू हुआ?: आज निर्भया का टॉपिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसके अपराधियों को फांसी देने की वजह फिर से गर्म है और जगह-जगह से बातें...
सवाल खाप का हमें यहाँ (भारत मैं) एक ऐसा वर्ग खड़ा करने में वह सब करना चाहिए जिसे कर सकते हों, जो हमारे और उन करोड़ो लोगों के बीच दुभाषिया का काम करेंगे जिन...