कहाँ से और कैसे पाड़ लगी हुई है किसान के घर की शांति और नेक कमाई में!
कहाँ से और कैसे पाड़ लगी हुई है किसान के घर की शांति और नेक कमाई में! मेरे चचेरे पड़दादा होते थे| वो महीने-दो महीने में हमारे ठोले (बड़ा परवार, यानि एक ही वंशबेल...
कहाँ से और कैसे पाड़ लगी हुई है किसान के घर की शांति और नेक कमाई में! मेरे चचेरे पड़दादा होते थे| वो महीने-दो महीने में हमारे ठोले (बड़ा परवार, यानि एक ही वंशबेल...
मिथकों की दुनिया खाप शब्द से ही चिड़ने वालो का तर्क सीधा है. उनका कहना है कि खाप प्रणाली बीते ज़माने कि सामंती प्रथा है जिससे गॉव के गंवार लोग बेमतलब चिपटे बैठे हैं...